Vicarious Liability: जब गलती किसी की, जिम्मेदारी किसी और की!
एक ऐसे सिद्धांत की, जो बताता है कि कभी-कभी गलती किसी और की होती है, लेकिन जिम्मेदारी किसी और की बनती है।
कानूनी दृष्टि से, यह वह स्थिति है जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के कृत्य या चूक के लिए उत्तरदायी ठहराया जाता है। खासकर तब, जब उनके बीच नियोक्ता और कर्मचारी (Employer–Employee) या प्रिंसिपल और एजेंट (Principal–Agent) का संबंध हो।
● एक पिज्जा डिलीवरी ड्राइवर जल्दबाज़ी में किसी पैदल यात्री से टकरा जाता है — तो कंपनी पर मुआवज़े की जिम्मेदारी आएगी।
● किसी अस्पताल की नर्स मरीज को गलत दवा दे देती है — तो अस्पताल उस गलती के लिए उत्तरदायी होगा।
● या फिर किसी सिक्योरिटी कंपनी का गार्ड किसी व्यक्ति के साथ मारपीट कर देता है — तो कंपनी उस हानि की जिम्मेदार होगी।
"Qui facit per alium, facit per se" — जो किसी दूसरे के माध्यम से कार्य करता है, वह स्वयं कार्य करने के समान है।
इस सिद्धांत का उद्देश्य है — न्याय सुनिश्चित करना और पीड़ित व्यक्ति को मुआवज़ा दिलाना, ताकि कोई भी व्यक्ति केवल इसलिए न्याय से वंचित न हो जाए क्योंकि गलती करने वाला कर्मचारी था, कंपनी नहीं।
यही है प्रतिनिधिक दायित्व — एक ऐसा कानूनी सेतु जो जिम्मेदारी को वहां तक पहुंचाता है, जहां से नियंत्रण शुरू होता है।











