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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: एससी-एसटी पर लागू नहीं होगा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम

 



सुप्रीम कोर्ट के इस हालिया फैसले कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 (Hindu Succession Act) अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) पर स्वतः लागू नहीं होता, जब तक कि केंद्र सरकार इसकी अधिसूचना (notification) जारी न करे।


⚖️ मामला क्या था

यह विवाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के वर्ष 2015 के एक निर्णय से जुड़ा था। हाईकोर्ट ने कहा था कि आदिवासी इलाकों में भी बेटियों को संपत्ति में वही अधिकार मिलने चाहिए जो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत मिलते हैं — यानी लड़का और लड़की दोनों को बराबर अधिकार

हाईकोर्ट का तर्क था कि ऐसा करने से सामाजिक असमानता और शोषण खत्म होगा, और यह संविधान के समानता के सिद्धांत के अनुरूप है।


⚖️ सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण


सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया और कहा —


हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 2(2) स्पष्ट रूप से कहती है कि यह अधिनियम अनुसूचित जनजातियों पर लागू नहीं होता, जब तक केंद्र सरकार इसके लिए अधिसूचना जारी न करे।

अर्थात, जब तक केंद्र सरकार विधिवत अधिसूचना जारी नहीं करती, तब तक आदिवासी समुदायों में संपत्ति के बंटवारे के मामले उनकी परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार ही तय होंगे, न कि हिंदू कानून के अनुसार।



⚖️ कानूनी महत्व


यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत “अनुसूचित जनजातियों” को मिली विशेष पहचान और स्वशासन की परंपराओं की रक्षा करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अदालतें किसी कानून को ऐसी जनजातियों पर लागू नहीं कर सकतीं, जिन पर संसद या केंद्र सरकार ने उसे लागू करने का निर्णय नहीं लिया हो।

संक्षेप में —

● हाईकोर्ट का निर्णय कानून से परे था।

 ● सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट और हिंदू सक्सेशन एक्ट दोनों अलग हैं।

● हिंदू सक्सेशन एक्ट तब तक ट्राइब्स पर लागू नहीं होगा जब तक केंद्र अधिसूचना जारी न करे।