Legal Updates

Simplifying Indian laws, legal rights, Important Judgements and daily legal News. Stay updated with Legal Updates.Online

Recently Uploded


Loading latest posts...

गर्भ में पल रहे जीवन की कानूनी सुरक्षा

 


   

भारतीय न्याय संहिता की धारा 92 उस स्थिति पर लागू होती है जब किसी व्यक्ति के कृत्य से गर्भ में पल रहे “जीवित भ्रूण” (quick unborn child) की मृत्यु हो जाती है। यह धारा बताती है कि भ्रूण का जीवन भी उतना ही मूल्यवान है जितना किसी जन्मे हुए व्यक्ति का।


यदि कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करता है जो,  परिस्थितियों में, यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु कर देता, तो मानव वध (culpable homicide) कहलाता — और वही कार्य गर्भ में पल रहे भ्रूण की मृत्यु का कारण बनता है, तो ऐसे अपराधी को 10 वर्ष तक के कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।   धारा 92, भारतीय न्याय संहिता 2023 


⚖️ उदाहरण

मान लीजिए कोई व्यक्ति किसी गर्भवती स्त्री को मारने के उद्देश्य से चोट पहुँचाता है। स्त्री तो जीवित बच जाती है, लेकिन उसके गर्भ में पल रहा बच्चा मर जाता है।
इस स्थिति में वह व्यक्ति इस धारा के अंतर्गत दोषी माना जाएगा, क्योंकि उसके कृत्य से एक जीवन समाप्त हुआ, भले ही वह जन्म से पहले था।

⚖️ कानूनी दृष्टि से महत्व


यह धारा यह संदेश देती है कि कानून भ्रूण के जीवन को भी मानव जीवन का दर्जा देता है।
यह न केवल गर्भवती स्त्री की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि उस नए जीवन की भी जो अभी जन्म नहीं ले पाया है।


धारा 92 न्याय और नैतिकता दोनों के बीच पुल का काम करती है। यह बताती है कि जीवन की सुरक्षा का अधिकार गर्भ में पलते भ्रूण से शुरू होता है, और उसकी मृत्यु भी कानून की नज़र में गंभीर अपराध है।