समाज में जब किसी व्यक्ति को अधिकार या जिम्मेदारी दी जाती है, तो उससे अपेक्षा की जाती है कि वह उसका सही उपयोग करेगा। लेकिन जब यही अधिकार किसी महिला को बहलाने, फुसलाने या दबाव डालने के लिए इस्तेमाल होता है, तब कानून सख्त हो जाता है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 68 इसी स्थिति को संबोधित करती है।
⚖️ अधिकार का दुरुपयोग और धारा 68
“Whoever, being in a position of authority or in a fiduciary relationship…”
धारा 68 कहती है कि यदि कोई व्यक्ति—
● अधिकार या विश्वास की स्थिति में है,
● सरकारी कर्मचारी है,
● जेल, रिमांड होम, महिला/बाल गृह का अधीक्षक या कर्मचारी है,
● या अस्पताल का प्रबंधक/स्टाफ है,
और वह अपने पद या विश्वास का दुरुपयोग कर किसी महिला को यौन संबंध के लिए प्रेरित करता है, तो यह अपराध है।
➡ यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि यह अपराध बलात्कार (Section 63, BNS) की श्रेणी में नहीं आता।
➡ यहाँ संबंध जबरदस्ती बलपूर्वक नहीं होता, बल्कि पद, अधिकार या भरोसे का गलत फायदा उठाकर बनाया जाता है।
कानून इस अपराध को गंभीर मानता है और इसके लिए कठोर सजा का प्रावधान है:
● न्यूनतम 5 साल की कैद (सख्त कैद)
● अधिकतम 10 साल तक की कैद
● साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा।
1. यौन संबंध वही है जो धारा 63 में बताया गया है।
2. सहमति (consent) से जुड़ी व्याख्या भी धारा 63 से लागू होगी।
3. "Superintendent" का मतलब सिर्फ अधीक्षक नहीं, बल्कि कोई भी अधिकारी होगा जो नियंत्रण रखता हो।
4. "अस्पताल" और "महिला/बाल गृह" की परिभाषा धारा 64(2) से ली जाएगी।
● जेल का अधीक्षक महिला कैदी को दबाव डालकर यौन संबंध बनाता है।
● डॉक्टर इलाज के बहाने मरीज से संबंध स्थापित करता है।
● यदि कोई शिक्षक अपने पद/विश्वास का दुरुपयोग करके किसी छात्रा को यौन संबंध बनाने के लिए बहलाता, फुसलाता या दबाव डालता है ।
● सरकारी कर्मचारी अपनी पद-शक्ति का इस्तेमाल कर महिला को बहलाता है।