इन परिस्थितियों में धारा 197 CrPC के तहत सरकार की अनुमति नहीं चाहिए:
1. अगर पुलिस ने ड्यूटी की आड़ में निजी बदले की भावना से अपराध किया हो।
✅ 🏛 Supreme Court Judgement In एस.के. मिस्त्री बनाम बिहार राज्य (2001) , – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि पुलिस अधिकारी का कार्य ड्यूटी से संबंधित नहीं है, तो उसे धारा 197 CrPC की सुरक्षा नहीं मिलेगी।
2. अगर अपराध बहुत गंभीर है, जैसे हत्या, बलात्कार, फर्जी मुठभेड़ या यातना।
✅ 🏛 Supreme Court Judgement In डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी बनाम मनमोहन सिंह (2012) , – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराधों में सरकारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
3. अगर पुलिस ने ड्यूटी की सीमा से बाहर जाकर अपराध किया हो।
✅ 🏛 Supreme Court Judgement In प्रेमचंद बनाम पंजाब राज्य (1958), – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पुलिस अधिकारी ड्यूटी से बाहर जाकर अवैध कार्य करता है, तो उसे सरकारी अनुमति की जरूरत नहीं।
4. अगर मामला भ्रष्टाचार से संबंधित है।
✅ 🏛 Supreme Court Judgement In एन. कलाइसेल्वी बनाम तमिलनाडु सरकार (2019) , – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में धारा 197 CrPC की सुरक्षा नहीं मिलेगी।
5. अगर कोर्ट खुद संज्ञान लेकर केस दर्ज करने का आदेश दे।
✅ 🏛 Supreme Court Judgement In सीबीआई बनाम जनार्दनन (1998) , सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि न्यायालय प्रथम दृष्टया (Prima Facie) मानता है कि अपराध हुआ है, तो वह सरकार की अनुमति के बिना भी केस दर्ज करने का निर्देश दे सकता है।
इसका मतलब यह है कि पुलिस ड्यूटी के दौरान किया गया हर अपराध धारा 197 CrPC की सुरक्षा के अंतर्गत नहीं आएगा। यदि अपराध व्यक्तिगत, भ्रष्टाचार या गंभीर प्रकृति का है, तो सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती और पुलिस अधिकारी पर सीधे मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।