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कानूनी तलाशी या गैरकानूनी घुसपैठ? पहचानिए फर्क ! Section 103 BNSS



धारा 103 – तलाशी और निरीक्षण की प्रक्रिया | Section 103 BNSS, 2023 ,CrPC की धारा 100]

 “तलाशी और निरीक्षण” यानी Search and Inspection Procedure — जो न्यायिक पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा, दोनों के बीच संतुलन बनाती है।

धारा 103 यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी बंद स्थान (Closed Place) में जब तलाशी की आवश्यकता हो, तो प्रक्रिया न्यायसंगत, पारदर्शी और सम्मानजनक तरीके से हो।


⚖️ Sub-section (1)


यदि कोई स्थान तलाशी या निरीक्षण के लिए liable है और वह बंद है, तो उस स्थान का निवासी या प्रभारी व्यक्ति, वारंट प्रस्तुत करने पर अधिकारी को प्रवेश और सहयोग देने के लिए बाध्य होगा।
यह प्रावधान यह स्पष्ट करता है कि न्यायिक प्रक्रिया के आदेश के समक्ष व्यक्तिगत स्वामित्व या गोपनीयता की सीमा विधिसम्मत रूप से नियंत्रित होती है।



⚖️ Sub-section (2)


यदि प्रवेश नहीं दिया जाता, तो अधिकारी धारा 44(2) BNSS के अनुसार बलपूर्वक प्रवेश कर सकता है।
यह सुरक्षा देता है कि कोई भी व्यक्ति न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर जांच में बाधा न डाले।


⚖️ Sub-section (3)


यदि किसी व्यक्ति पर यह संदेह हो कि उसने अपने पास कोई तलाशी योग्य वस्तु छिपाई है, तो अधिकारी उस व्यक्ति की तलाशी ले सकता है।
महिलाओं की तलाशी केवल महिला अधिकारी द्वारा, और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए की जाएगी।
यह उपधारा Article 21 के तहत व्यक्ति की गरिमा के अधिकार को बनाए रखती है।


⚖️ Sub-section (4) एवं (5)


तलाशी से पहले, अधिकारी को दो या अधिक स्वतंत्र और सम्माननीय स्थानीय निवासियों को साक्षी बनाना आवश्यक है।
तलाशी की कार्रवाई उनकी उपस्थिति में होगी, और जब्त वस्तुओं की सूची तैयार कर साक्षियों से हस्ताक्षरित कराई जाएगी।
यह प्रक्रिया transparency की आत्मा है — ताकि तलाशी प्रक्रिया मनमानी या ग़ैरक़ानूनी न ठहराई जा सके।


⚖️ Sub-section (6)


स्थान का निवासी या उसका प्रतिनिधि तलाशी के दौरान उपस्थित रह सकता है और जब्त वस्तुओं की सूची की प्रति उसे दी जानी अनिवार्य है।
यह व्यक्ति को अपने अधिकारों के प्रति सजग रखता है और किसी भी संभावित दुरुपयोग को रोकता है।


⚖️ Sub-section (7)


यदि किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत तलाशी ली जाती है, तो जब्त वस्तुओं की अलग सूची बनाकर उसकी प्रति उसी व्यक्ति को दी जाएगी।


⚖️ Sub-section (8)


यदि कोई व्यक्ति बिना उचित कारण साक्षी बनने से इंकार करता है, तो यह धारा 222 BNSS के तहत दंडनीय अपराध होगा।
यह नागरिक कर्तव्य की भावना को बल देता है — कि न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है।


⚖️ उद्देश्य और विधिक भावना


धारा 103 का उद्देश्य सिर्फ़ तलाशी कराना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि
➡️ कानूनी प्रक्रिया पारदर्शी रहे,
➡️ व्यक्ति की गरिमा सुरक्षित रहे, और
➡️ न्यायिक साक्ष्य निष्पक्ष रूप से प्राप्त हों।

यह प्रावधान राज्य के जांच-अधिकार और नागरिक के मौलिक अधिकारों के बीच संतुलन का प्रतीक है।


⚖️ निष्कर्ष


संक्षेप में — Section 103 BNSS एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया-संबंधी प्रावधान है जो तलाशी की हर कार्रवाई को न्यायसंगत और जवाबदेह बनाता है।
यह कानून की नज़र में “Search” को सिर्फ़ एक पुलिसीय कार्रवाई नहीं, बल्कि संविधानिक उत्तरदायित्व बनाता है।



“जहाँ तलाशी में पारदर्शिता होती है, वहीं न्याय की प्रक्रिया में विश्वास कायम रहता है।”
— यही है धारा 103 BNSS की मूल आत्मा।