भारत में भूमि व संपत्ति के विवादों में सबसे पेचीदा मामला तब खड़ा होता है जब एक ही ज़मीन की दोहरी रजिस्ट्री (Double Registration) हो जाती है। यानी विक्रेता पहले किसी एक व्यक्ति को ज़मीन बेच चुका है और फिर उसी संपत्ति की दोबारा बिक्री किसी अन्य को कर देता है। यह स्थिति केवल खरीदारों के लिए नहीं बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी गंभीर लापरवाही मानी जाती है।
कानून के अनुसार जब कोई संपत्ति एक बार वैध रूप से रजिस्टर्ड हो जाती है, तो उसी संपत्ति की पुनः रजिस्ट्री होना नहीं चाहिए। इसके बावजूद यह समस्या तीन कारणों से देखने को मिलती है—
- धोखाधड़ी (Fraud) : विक्रेता जानबूझकर संपत्ति बार-बार बेचता है।
- लिपिकीय त्रुटि (Clerical Error) : रजिस्ट्रार कार्यालय में रिकॉर्ड मिलान सही ढंग से न होने पर।
- मिलीभगत : कुछ मामलों में रजिस्ट्रार की लापरवाही या संदेहास्पद भूमिका भी सामने आती है।
- रजिस्ट्रार कार्यालय : रजिस्ट्रार का दायित्व है कि पहले से दर्ज रजिस्ट्री का मिलान करके ही नई एंट्री करे। यदि यह नहीं होता तो यह प्रशासनिक लापरवाही है।
- विक्रेता : जिसने एक ही ज़मीन दो बार बेची, उस पर सीधे तौर पर धोखाधड़ी (Cheating) और छल का आरोप बनता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने कई निर्णयों में यह स्पष्ट किया है कि—
- पहली वैध बिक्री ही प्रभावी मानी जाएगी।
- दूसरी रजिस्ट्री कानूनन शून्य (Void) हो जाती है।
- यदि पहला खरीदार कब्ज़े में है तो उसका हक मज़बूत होगा।
- दीवानी वाद (Civil Suit) : पीड़ित पक्ष दूसरी रजिस्ट्री को निरस्त कराने और अपने स्वामित्व की घोषणा (Declaration of Title) के लिए वाद दायर कर सकता है।
- फौजदारी कार्यवाही (Criminal Action) : यदि धोखाधड़ी सिद्ध हो तो भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 319 (धोखाधड़ी) और संबंधित धाराओं के तहत आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।
- रजिस्ट्री रद्द करना : न्यायालय के आदेश से दूसरी बिक्री रद्द की जा सकती है।
- क्षतिपूर्ति (Recovery Suit) : जिस पक्ष को नुकसान हुआ है वह न्यायालय से हर्जाना (Damages) मांग सकता है।
डबल रजिस्ट्री सिर्फ तकनीकी चूक नहीं बल्कि गंभीर कानूनी अपराध है। खरीदार को सतर्क रहना चाहिए कि रजिस्ट्री से पहले भूमि का रिकॉर्ड, एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट और म्यूटेशन एंट्री सही ढंग से जांचे। वहीं, सरकार और रजिस्ट्रार की भी जिम्मेदारी है कि इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए डिजिटल रिकॉर्ड सिस्टम और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।