Legal Updates

Simplifying Indian laws, legal rights, Important Judgements and daily legal News. Stay updated with Legal Updates.Online

Recently Uploded

Loading latest posts...

क्या चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी एफआईआर रद्द हो सकती है?

 



भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 482 हाईकोर्ट को एक विशेष अधिकार प्रदान करती है—न्याय की रक्षा करना और न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकना। सवाल यह है कि यदि किसी आपराधिक मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी हो, तो क्या उस स्थिति में भी हाईकोर्ट एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर सकता है?

आइए समझते हैं कानूनी प्रावधानों, न्यायिक सिद्धांतों और सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसलों के संदर्भ में।


धारा 482 CrPC का दायरा

धारा 482 CrPC के तहत हाईकोर्ट को तीन मुख्य शक्तियां प्राप्त हैं:

  1. न्यायालय के आदेशों के पालन को सुनिश्चित करना।
  2. न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकना।
  3. न्याय की रक्षा करना।

हालांकि, CrPC में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जो कहे कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद एफआईआर रद्द की जा सकती है, लेकिन उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अनेक फैसले इस अधिकार की सीमा को स्पष्ट कर चुके हैं।


चार्जशीट के बाद एफआईआर रद्द करने के कानूनी सिद्धांत

चार्जशीट दाखिल होने के बाद मामला ट्रायल कोर्ट के अधीन चला जाता है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि हाईकोर्ट की शक्तियां समाप्त हो जाती हैं। धारा 482 के तहत हाईकोर्ट अब भी हस्तक्षेप कर सकता है, यदि निम्न स्थितियां मौजूद हों:

1. अंतरिम शक्तियां बनी रहती हैं

चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी हाईकोर्ट की धारा 482 CrPC की शक्तियां अप्रभावित रहती हैं। यदि आरोप झूठे, फर्जी या दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होते हैं, तो एफआईआर रद्द की जा सकती है।

2. प्रथम दृष्टया साक्ष्यों का मूल्यांकन

हाईकोर्ट चार्जशीट में दर्ज तथ्यों का प्रारंभिक परीक्षण कर सकता है। यदि आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं, तो एफआईआर और चार्जशीट, दोनों रद्द की जा सकती हैं।

3. न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग की रोकथाम

यदि आपराधिक कार्यवाही का उद्देश्य केवल प्रताड़ना या उत्पीड़न है, तो हाईकोर्ट इस प्रक्रिया को रोकने का अधिकार रखता है।


महत्वपूर्ण न्यायिक दृष्टांत (Judicial Precedents)

1. Joseph Salvaraj A. बनाम State of Gujarat (2011)

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी हाईकोर्ट के पास एफआईआर रद्द करने की शक्ति है, यदि आरोप फर्जी या दुर्भावनापूर्ण हों।

2. Anand Kumar Mohatta बनाम State (2019)

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की शक्ति केवल चार्जशीट दाखिल होने तक सीमित नहीं की जा सकती। यदि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग हो रहा है, तो एफआईआर रद्द करना उचित है।

3. Neeharika Infrastructure बनाम State of Maharashtra (2021)

अदालत ने कहा कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद एफआईआर रद्द करने की शक्ति का प्रयोग सावधानीपूर्वक होना चाहिए, लेकिन यदि आरोपों में दम नहीं है, तो हस्तक्षेप उचित है।

4. Mahmood Ali बनाम State of U.P. (2023)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को यह देखना चाहिए कि एफआईआर और चार्जशीट से अपराध के तत्व स्थापित होते हैं या नहीं। यदि मामला दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य से दर्ज किया गया है, तो एफआईआर रद्द की जा सकती है।

5. Abhishek बनाम State of Madhya Pradesh (2023)

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद एफआईआर रद्द कर दी। आरोप सामान्य और अस्पष्ट थे, और आपराधिक कार्यवाही का कोई ठोस आधार नहीं था।


निष्कर्ष

चार्जशीट दाखिल हो जाने के बाद भी हाईकोर्ट के पास धारा 482 CrPC के तहत एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की शक्ति मौजूद है। हालांकि, यह शक्ति अत्यंत सावधानी के साथ प्रयोग की जाती है, ताकि वास्तविक आपराधिक मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप न हो।

यदि आरोप फर्जी, दुर्भावनापूर्ण, या अपर्याप्त साक्ष्यों पर आधारित हैं, तो हाईकोर्ट एफआईआर और चार्जशीट दोनों को रद्द कर सकता है।