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बलात्कार के मामलों में सज़ा ! अधिकार और पद का दुरुपयोग करने वालों के लिए प्राकृतिक जीवनकाल तक की कैद

 

बलात्कार के मामलों में सज़ा ! अधिकार और पद का दुरुपयोग करने वालों के लिए प्राकृतिक जीवनकाल तक की कैद


  बलात्कार मामलों में सज़ा:    BNS की धारा 64 में आजीवन कारावास तक का प्रावधान


📜  महिलाओं के खिलाफ होने वाले गंभीर अपराधों पर सख़्त कार्रवाई के लिए भारतीय न्याय संहिता, 2023 में धारा 64 जोड़ी गई है। यह धारा बलात्कार के मामलों में सज़ा का प्रावधान करती है, जिसमें अपराध की प्रकृति के आधार पर कम से कम 10 साल का कठोर कारावास और अधिकतम प्राकृतिक जीवनकाल तक की कैद दी जा सकती है। साथ ही, दोषी को जुर्माना भी भरना होगा।




⚖️ साधारण मामलों में सज़ा


धारा 64(1) के तहत, यदि कोई व्यक्ति बलात्कार करता है और वह मामला विशेष श्रेणियों में नहीं आता, तो उसे 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा और जुर्माना हो सकता है।





⚖️ विशेष परिस्थितियों में और सख़्ती


धारा 64(2) में उन परिस्थितियों का उल्लेख है जहाँ अपराध और भी गंभीर माना जाएगा। इनमें शामिल हैं:


● पुलिस अधिकारी द्वारा थाने के परिसर में या हिरासत में बलात्कार


● लोक सेवक द्वारा अपनी हिरासत में महिला के साथ बलात्कार


● सशस्त्र बल का सदस्य सरकार द्वारा तैनात क्षेत्र में बलात्कार करे


● जेल, रिमांड होम, महिला/बाल संस्था के कर्मचारी या प्रबंधन द्वारा बलात्कार


● अस्पताल के स्टाफ या प्रबंधन द्वारा बलात्कार


● रिश्तेदार, अभिभावक, शिक्षक या विश्वास/अधिकार की स्थिति का दुरुपयोग


● गर्भवती महिला, मानसिक/शारीरिक रूप से अक्षम महिला या हिंसा के दौरान बलात्कार


● बलात्कार के दौरान गंभीर चोट, अंग-भंग, चेहरा बिगाड़ना या जान को खतरा


● एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार


📜 इन मामलों में सज़ा कम से कम 10 साल और अधिकतम दोषी के जीवनकाल तक की कैद होगी, साथ में जुर्माना भी।




⚖️ उद्देश्य


📜 यह धारा अपराधियों पर सख़्त संदेश देती है कि बलात्कार, खासकर पद और अधिकार का दुरुपयोग कर किए गए अपराध, बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।




📝 निष्कर्ष (Conclusion):

धारा 64 का उद्देश्य महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। सरकार और न्यायपालिका का मानना है कि कड़ी सज़ा से ऐसे अपराधों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।

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