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"अब पैतृक संपत्ति बंटवारा आसान! यूपी सरकार ने दी बड़ी राहत"

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"उत्तर प्रदेश सरकार ने पैतृक संपत्ति बंटवारे से जुड़े लाखों परिवारों को बड़ी राहत दी है। योगी कैबिनेट के ताज़ा फैसले से अब पैतृक संपत्ति के विभाजन की लिखा-पढ़ी मात्र 10,000 रुपये में पूरी हो जाएगी। लेकिन राहत के साथ कुछ महत्वपूर्ण शर्तें भी जुड़ी हैं।


 सरकार का बड़ा फैसला


"योगी कैबिनेट की मंगलवार की बैठक में फैसला लिया गया कि पैतृक अचल संपत्ति के बंटवारे पर अब स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क दोनों मिलाकर केवल 10,000 रुपये ही लगेंगे।

  • स्टाम्प शुल्क – ₹5,000
  • रजिस्ट्री शुल्क – ₹5,000
    पहले यह खर्च संपत्ति के मूल्य का 4% तक होता था।"

 राहत की शर्तें


"यह छूट हर किसी के लिए नहीं है। सरकार ने कुछ खास शर्तें तय की हैं –

  1. अधिकतम तीन पीढ़ियां:
    • छूट सिर्फ परिवार के सदस्यों के बीच तीन पीढ़ियों तक के वंशजों के लिए लागू होगी।

  2. कुटुंब रजिस्टर अनिवार्य:
    • लाभ लेने के लिए पक्षकारों को तीन पीढ़ियों का स्पष्ट उल्लेख करते हुए कुटुंब रजिस्टर देना होगा।
  3. वैधानिक अंश का पालन:
    • बंटवारा वर्तमान उत्तराधिकार कानूनों के अनुसार होना चाहिए।
  4. सिर्फ वास्तविक व्यक्तियों की संपत्ति:
    • यह छूट केवल उन संपत्तियों पर मिलेगी जो वास्तविक व्यक्तियों के नाम पर हैं।"

 किन पर लागू नहीं होगी छूट



"सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह सुविधा केवल आवासीय, व्यावसायिक और कृषि भूमि के बंटवारे पर उपलब्ध होगी।

  • लागू नहीं: फर्म, कंपनी, ट्रस्ट और संस्थाओं की संपत्ति।"

 कानूनी प्रावधान और पृष्ठभूमि


"रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1908 की धारा 17 के तहत पैतृक संपत्ति के बंटवारे का पंजीकरण अनिवार्य है।
अब तक विभाजन विलेख पर बॉन्ड विलेख की तरह संपत्ति के मूल्य का 4% स्टाम्प शुल्क देना पड़ता था, जिससे आम लोगों पर भारी बोझ पड़ता था।"


नतीजे और असर


"सरकार के मुताबिक, इस कदम से प्रदेश में रजिस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा और अविभाजित संपत्तियों के बंटवारे में तेजी आएगी।
हालांकि, इस छूट के चलते सरकार को लगभग 6.39 करोड़ रुपये की राजस्व हानि का अनुमान है, लेकिन इसका सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा।"


 निष्कर्ष



"उत्तर प्रदेश में पैतृक संपत्ति बंटवारे की प्रक्रिया अब सरल और किफायती हो गई है।
तीन पीढ़ियों तक के परिवारों को राहत जरूर मिलेगी, लेकिन बंटवारा कानूनी प्रक्रिया, कुटुंब रजिस्टर और उत्तराधिकार कानूनों के दायरे में ही होना चाहिए।
सरकार का मकसद है – परिवारों के बीच संपत्ति विवाद कम हों और पारदर्शिता बढ़े।"