Legal Updates

Simplifying Indian laws, legal rights, Important Judgements and daily legal News. Stay updated with Legal Updates.Online

Recently Uploded


Loading latest posts...

आत्म-दोषारोपण (Self-Incrimination) क्या है?

Draggable Page with Handle

Draggable Page

Use the transparent handle on the right to drag this page around.

Add your Blogger content here.

 


आत्म-दोषारोपण का अर्थ है किसी व्यक्ति का अपने ही विरुद्ध अपराध साबित करने वाला बयान देना या सबूत प्रस्तुत करना। इसका तात्पर्य यह है कि किसी भी व्यक्ति को ऐसे बयान देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जिससे वह स्वयं अपराधी साबित हो जाए।


संवैधानिक प्रावधान (Article 20(3))


भारतीय संविधान का अनुच्छेद 20(3) आत्म-दोषारोपण से सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें कहा गया है:


"किसी भी व्यक्ति को अपने ही विरुद्ध अपराध सिद्ध करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।"


महत्वपूर्ण बिंदु:


1. स्वैच्छिक बयान: यदि कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से अपराध स्वीकार करता है, तो वह आत्म-दोषारोपण नहीं माना जाएगा।



2. मजबूरी से बचाव: पुलिस या अन्य अधिकारियों द्वारा बलपूर्वक या दबाव डालकर बयान लेने पर वह न्यायालय में अमान्य होगा।



3. साक्ष्य न देने का अधिकार: किसी आरोपी को यह अधिकार होता है कि वह अपने ही विरुद्ध गवाही देने से इनकार कर सकता है।



4. नार्को टेस्ट व लाई डिटेक्टर टेस्ट: सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया है कि बिना सहमति के नार्को-एनालिसिस या लाई डिटेक्टर टेस्ट कराना आत्म-दोषारोपण के अधिकार का उल्लंघन है।




न्यायिक व्याख्या (Judicial Interpretation)


M.P. Sharma बनाम सत्यनारायण (1954): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आत्म-दोषारोपण से सुरक्षा केवल "गवाही" तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें दस्तावेजी साक्ष्य भी शामिल हैं।


Selvi बनाम राज्य (2010): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नार्को-एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट बिना सहमति के कराना अवैध है।



निष्कर्ष


आत्म-दोषारोपण के खिलाफ सुरक्षा व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को जबरन अपने खिलाफ गवाही देने के लिए विवश न किया जाए।