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हत्या ( Murder )और मानव वध ( Culpable Homicide )में क्या फर्क है?

 


 हत्या ( Murder ) और गैर-इरादतन हत्या (culpable homicide) के  बीच का अंतर 


कोर्ट ने यह तय करने के लिए एक चार-स्तरीय टेस्ट (test) भी दिया कि क्या हत्या है या नहीं।


विचार के तत्व:


1. चोट जानबूझकर दी गई हो।


2. वह चोट घातक हो और शरीर के महत्वपूर्ण हिस्से पर हो।


3. ऐसी चोट से मृत्यु का होना स्वाभाविक हो।


4. आरोपी को इस प्रभाव का ज्ञान हो।



महत्व:

🪄यह केस अब भी हत्या के मामलों में मंशा (intention) और ज्ञान (knowledge) के निर्धारण के लिए आधार (precedent) माना जाता है।


🪄"Murder और Culpable Homicide दोनों में मृत्यु होती है, पर अंतर मंशा (intention) और ज्ञान (knowledge) का होता है।"

🪄"जब जानबूझकर ऐसी चोट दी जाती है जिससे मृत्यु हो सकती है, पर मंशा जान से मारने की नहीं थी — तब वह Culpable Homicide है।"




Case: Reg v. Govinda (1876) 1 Bom HCR 227

महत्त्व: Murder और Culpable Homicide के बीच अंतर का मूलभूत केस

तथ्य:

पति ने पत्नी को ज़मीन पर गिराया और उसके चेहरे पर घूंसे मारे जिससे वह मर गई। मृत्यु का कारण सिर पर लगी चोट थी।

जजमेंट:

बॉम्बे हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि यह Culpable Homicide है, Murder नहीं। क्योंकि मारने की मंशा (intention to kill) स्पष्ट नहीं थी।

न्यायिक विवेक:

जस्टिस मेल्विल ने Murder और Culpable Homicide के बीच का अंतर स्पष्ट किया:

Culpable Homicide is the genus, and Murder is a species of it।

हर Murder एक Culpable Homicide होता है, पर हर Culpable Homicide Murder नहीं होता।



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2. Case: Virsa Singh v. State of Punjab, AIR 1958 SC 465



तथ्य:

आरोपी ने भाले से एक व्यक्ति की जांघ में चोट मारी जिससे मृत्यु हो गई।

जजमेंट:

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को Murder का दोषी ठहराया।

न्यायिक विवेक:

चार आवश्यक तत्व जिनसे धारा 300 की तीसरी क्लॉज के तहत Murder बनता है:

1. Bodily injury होनी चाहिए।


2. Injury objective रूप से पर्याप्त हो कि मृत्यु हो सकती है।


3. Injury व्यक्ति विशेष को होनी चाहिए।


4. Accused को उस injury को पहुँचाने का intention होना चाहिए।




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धारा आधारित विश्लेषण:

धारा 299 IPC / 100 (BNS) (Culpable Homicide): जब कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करता है जिससे मृत्यु की संभावना हो, लेकिन जान से मारने की सीधी मंशा नहीं होती।

धारा 300 IPC / 101 (BNS) (Murder): जब मंशा स्पष्ट हो कि मृत्यु ही होनी चाहिए।